सरकार नही चेती तो उत्तर प्रदेश के हर गांवों में मचेगा कोरोना का कहर...!

उत्तर प्रदेश के गांवो में पैदल ही लौट रहे है मजदूर....!


200 व्यक्तियों को उतारकर उनकी चेकिंग की गई, उनके हाथों पर 14 दिन तक घर में क्वारैंटाइन रहने की मुहर लगी थी !


कोरोना से शायद बच भी जाएं, लेकिन भुखमरी से जरूर मर जाएंगे !


यूपी की ज्यादातर सड़कों पर ऐसे मजदूरों के जत्थे देखने को मिल जाएंगे, पैसे नहीं हैं, खाना नहीं है, पेट पालने के लिए शहर आए थे !


हरियाणा, दिल्ली और यूपी की सीमाओं को पार कर अनीता यादव अपने पति रामकुमार यादव के साथ बाइक से 690 किलोमीटर का सफर तय कर अमेठी की सीमा पर आ पहुंची


मजबूरी में मजदूर परिवार के साथ पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांवों के लिए रवाना.....!


बस्ती । अलग-अलग राज्यों में सात और लोगों की मौत के साथ भारत में कोरोना वायरस से मरने वालों का आंकड़ा 20 हो गया है. एक दिन में हुई मौतों की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है. ज्यादातर मामलों में मृतक या तो बुजुर्ग हैं या तो ऐसे लोग जिन्हें पहले से ही डायबिटीज जैसी कुछ दूसरी बीमारियां भी थीं. खबरों के मुताबिक  संक्रमण के 71 नए मामले भी दर्ज किए गए और इसके साथ ही कोरोना वायरस की चपेट में आए लोगों का आंकड़ा 700 को पार करते हुए 727 हो गया.


देश में लॉकडाउन का शुक्रवार को तीसरा दिन है। काम-धंधा सब ठप हो गया है। पेट पालने के लिए शहर आए मजदूरों के पास अब वहां रुकने की कोई वजह नहीं बची। बस-ट्रेन सब बंद है। मजबूरी में मजदूर परिवार के साथ पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांवों के लिए रवाना हो चुके हैं। दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर ऐसे ही हजारों लोग पैदल अपने गांवों की ओर जाते हुए नजर आए। 


यूपी की ज्यादातर सड़कों पर ऐसे मजदूरों के जत्थे देखने को मिल जाएंगे। पैसे नहीं हैं, खाना नहीं है। पेट पालने के लिए शहर आए थे और भूखे ही गांव वापस लौटना पड़ रहा है। इन हालात से कोई अनजान नहीं है। संक्रमण का खतरा बरकरार है, लेकिन इंसानियत के नाते पुलिस और प्रशासन इन जरूरतमंदों की मदद के लिए हर जरूरी कोशिश कर रहे हैं। रास्ते में ऐसे मजदूरों को खाना खिलाया जा रहा है। संक्रमण से बचने के लिए मास्क दिए जा रहे हैं और साथ ही समझाया भी जा रहा है कि आपका ये सफर आपके अपनों को ही मुश्किल में डाल देगा। लेकिन, सैकड़ों किलोमीटर के सफर पर निकले ये मजदूर कहते हैं कि हम कोरोना से शायद बच भी जाएं, लेकिन भुखमरी से जरूर मर जाएंगे। इन लोगों के पैरों में छाले पड़ गए हैं, पर ये रुक नहीं रहे... चलते जा रहे हैं अपने गांवों की ओर।


देश में तमाम लोग रोड किनारे झोपड़ी बनाकर रहते हैं। लॉकडाउन के चलते उन्हें मजदूरी भी नहीं मिल रही है। बच्चे भूख से व्याकुल हो रहे हैं। बरेली में कई परिवार खाने की मांग को लेकर एसएसपी दफ्त पहुंच गए। लेकिन, वहां मिले पुलिसकर्मियों ने परिवारों को डीएम के यहां जाने की बात कहकर भेज दिया। सभी विकास भवन के पास जाकर बैठ गए। बाद में कुछ लोगों ने उनके खाने पीने का इंतजाम कराया। लेकिन, यहां प्रशासन को अभी राहत के लिए बहुत कुछ करना बाकी है।


झांसी में पुलिस वाहनों की चेकिंग कर रही है। गुरुवार रात महाराष्ट्र नंबर की एक कार रोकी गई। इसमें एक बुजुर्ग महिला समेत 5 लोग सवार थे। महिला की तबीयत खराब थी तो पुलिस ने डीएम के कंट्रोल रूम को इसकी सूचना दी। टीम ने थर्मल स्क्रीनिंग की तो महिला को 102 डिग्री बुखार था। फिर उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। कार चला रहे युवक ने बताया कि वे मुंबई से अपने घर प्रतापगढ़ जा रहे हैं।


हरियाणा, दिल्ली और यूपी की सीमाओं को पार कर अनीता यादव अपने पति रामकुमार यादव के साथ बाइक से 690 किलोमीटर का सफर तय कर अमेठी की सीमा पर आ पहुंची। लेकिन, शिवरतंगज पुलिस ने हजारीगंज पर उन्हें रोका। पूछताछ के बाद पुलिस ने बाइक का चालान काट दिया और दंपती को कोरोना की जांच के लिए अस्पताल भेज दिया। अनीता ने बताया- वे जगदीशपुर के सत्थिन गांव की निवासी हैं। पति को तनख्वाह मिली नहीं और किसी से पैसा मांगने पर भी नहीं मिला। अब हम अपने घर जा रहे हैं और हमारे घर वाले हमारी दवा कराएंगे।


लॉकडाउन के बीच लोग घर पहुंचने के लिए कई तरीके अपना रहे हैं। कानपुर में गुरुवार रात ऐसे कई लोगों को मालगाड़ी से उतारा गया जो चोरी छिपे उत्तर प्रदेश आ रहे थे। स्टेशन पर महाराष्ट्र के नासिक से चढ़े करीब 200 व्यक्तियों को उतारकर उनकी चेकिंग की गई। उनके हाथों पर 14 दिन तक घर में क्वारैंटाइन रहने की मुहर लगी थी।


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