गैंस सिलेंडर लदी ट्रकों व सब्जियों के वहनों पर बैठकर बस्ती पहुॅच रहे है यात्री

बस्ती। कोरोना को चलते समूचे देश में लॉकडाउन है। रेल यातायात पूरी तरह से ठप है। देश व विदेशी उड़ानों पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। यही नहीं परिवहन सेवा भी बंद हैं। जिसके चलते दूर दराज के इलाकों, राज्यों व शहरों में रोजी रोटी में जुटे हुए लोगों पर मानों आफत ही आ गई हैं। धंधा पूरी तरह से ठप है, ऐसे में मजदूर व अन्य लोग अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए परेशान हैं, बहुत से ऐसे लोग हैं, जो मंजिल को तय करने के लिए पैदल ही यात्रा कर रहे, तो बहुत से ऐसे हैं, जो बाइक से अपने घरों के लिए सैकड़ों की मील की यात्रा पर निकल पड़े हैं। शुक्रवार को बड़ेवन स्थित टोल प्लाजा के पास चौकाने वाला नजारा दिखा, एक स्कूटर पर सवार तीन युवक तेजी से आते दिखे, रूकने के इशारे पर उन्होंने अपने वाहन को रोका, तीनों युवक काफी परेशान दिख रहे थे, वाहन चला रहे फैजान से बात करने पर उन्होंने बताया कि वे खलीलाबाद में रहकर मजदूरी करते हैं, लॉक डाउन के चलते काम ठप पड़ गया है, ऐसे में वे अपने साथी फहीम व जिशान के साथ मुजफ्फरनगर जा रहे हैं। इन्हें बताया गया कि बस्ती में जिला प्रशासन की ओर से रुकने व भोजन की व्यवस्था की गई है, लेकिन उन्हें सिर्फ अपनों के बीच पहुंचना था, वो भी 10 या 20 किमी नहीं, बल्कि पूरे 866 किलो मीटर की दूर तय कर। इनके जाने के बाद बाइक सवार अन्य दो लोगों को रुकने का इशारा किया गया, इन्होंने भी अपनी बाइक रोकी, बाइक चला रहे पवन व पीछे बैठे संजय निवासी कानपुर ने बताया कि वे सहरसा बिहार से आ रहे हैं। बताते हैं कि सेल्समैन का काम करते हैं, लॉक डाउन के चलते काम ठप है, ऐसे में अपने घर जा रहे हैं। इन्हें भी जिले में रुकने वा भोजन की व्यवस्था के बारे में बताया गया, लेकिन ये भी अपनों के बीच पहुंचने के लिए परेशान थे। इसी बीच बाइक सवार दो और युवक आते दिखे पूछने पर बाइक चला रहे युवक ने अपना नाम मनीष सिंह व पीछे बैठे युवक ने अपना नाम सत्यम शुक्ला बताया। बताते हैं गोरखपुर में रहकर काम करते थे, लॉकडाउन के चलते सभी दुकानें बंद हैं। ऐसे में घर पहुंचना ही विकल्प रहा गया है। दोनों ने खुद को लखनऊ का रहने वाला बताया।
एंबुलेंस में बैठी मिली सवारियां
हाइवे पर बहुत से ऐसे भी एंबुलेंस दिखे, जिसमें मरीज नहीं बल्कि सावारियां बैठी थी। इनके चालकों से पूछने पर बताया कि लोग पैदल चल रहे थे, काफी मिन्नतों के बाद इन्हें बैठा लिया गया है। यही नहीं गैंस सिलेंडर लदी ट्रकों व सब्जियों के वहनों के उपर बैठकर लोगों को यात्रा करते देखा गया।


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